आजा सेवाग्राम में, आजा कोई धाम में ।
(तर्ज: कभी याद करके, गली... )
आज सेवाग्राम में, आजा कोई धाम में ।
चले आना हमारे मोहना ! ।।टेक।।
कोई कहते, तुझको हत्यारेने मारा ।
कोई कहते, तुझको जमुनाने पुकारा ।।
यह सब तजके, नया रुप सजके,
चले आना हमारे मोहना ! ।।१।।
अब लेना हाथोमें समताकी तारी ।
भारतमें रहने न पावे भिखारी ।।
खाने-पीनेकों आराम,सबके घरमें देने दाम ,
चले आना हमारे मोहना ! ।।२।।
सारे किसानोंका दुख दूर करने ।
सब जाति-पाँतिको पूरा बिसरने ।।
रहने मानवता समान,फिरसे देने तेरा ध्यान,
चले आना हमारे मोहना ! ।।३।।
आजादी जबसे यह भारतमें आई ।
बूरी बला उसके पीछे लगाई ।।
अबतो लेते तेरा नाम,भारत बैठा है बेकाम,
चले आना हमारे मोहना ! ।।४।।
तेरे विचारोंवे दर्शन घड़ेंगे ।
घरघरसे सेवक वे बाहर पढड़ेंगे ।।
तुकड्या करता है पुकार,दे दो फेरसे अधार,
चले आना हमारे मोहना ! ।।५।।