क्यो हमेशा बोलता आजादी में क्या अर्थ है ?

            (तर्ज : आठशा तुज भोवती...)
क्यों हमेशा बोलता  आजादी  में   क्या   अर्थ   है ?
कया तूने समझा इसे? सब ख्याल करता व्यर्थ है ।।टेक।।
थी     गुलामी    देश     में ,
तो भी तुने कुछ ना किया ।
मुफ्त अब खाना मिले कहाँतक यह कहना सार्थ है ?।।१।।
कष्ट के बिन जीव कोई,
कहिं सुखी  होता  नहीं ।
मुरदे तो मुरदे  रहें, उनका  जिनाही   व्यथे   है ।।२।।
ऊठ, जागृत हो मुसाफिर ।
प्राप्त     कर   सद्बोधको ।
निज चरित उज्वल बना,इस देशके प्रीत्यर्थ  है ।।३।।
गांधीजीने    तो      सतत, 
खुदको जगाया था  सही । 
और को सुधरा दिया,सुविचार कर चरितार्थ है ।।४।।
आज भी सज्जन   कोई, 
आगे  बढ़ें इस  देश  में ।
क्रान्ति करे सत्कर्म की,तुकड्या कहे निःस्वार्थ हैं ।।५।।