कब आवोंगे नंदलाल !

        (तर्ज: घरधनी गेला दर्यापार....)
          कब आवोंगे नंदलाल ! ।।टेक।।
डगमग डोल रही है नैया,कोई नहीं दिख रहा खिवैया।
होहि रहे दुनिया के  हाल ।। कब 0।।१।।
अबलाओ के हाल बढे है, गुण्डो के सिर नूर चढे   है ।
कौन करे जगका प्रतिपाल ।।कब 0।।२।।
धरतरिने मर्यादा छोडी, पास नहीं है  किसके  कोडी ।
दौड रहे दस दिशमे काल ।। कब 0।।३।।
नभ मंडल में टुटते तारे, गुर-गुर-गुर आवाज निकारे ।
उमड़ पडा  सारा  जंजाल ।। कब 0।।४।।
दीन भयी दूनिया अब सारी, बिन बोले मर रही बिचारी
प्यारे मोहन ! करदो निहाल ।।कब 0।।५।।
देर करोगे तब क्या होगा, दिखता यह सबही जावेगा ।
कौन करे फिर तुम्हें सवाल ?।।कब 0।।६।।
तकड्यादास कहे अब आओ,इस भारतकी लाज बचाओ ।
तोडो    इन    पापोंके   ताल।। कब 0।।७।।