कन्हैया ! खोल किवाडे खोल

           (तर्ज: पुजारी ! मोरे मन्दिर में... )
         कन्हैया ! खोल किवाडे खोल ।।टेक।।
कबसे ठाडे द्वार  तुम्हारे, बोल   जरा   तो    बोल ।।१।।
रैन अंधेरी चमकत बिजली,बरसत जल गयि तोल ।।२।।
धीर धरे न अबहूँ मन मेरा, जात समय अनमोल ।।३।।
दे दर्शन कर तृप्त नयन को,मत रख भेद सखोल ।।४।।
तुकड्यादास कहे मिलवाले, मुझको अपना बोल ।।५।।