कई बार बोला हामने, नाथ ! हमें तारना
(तर्ज : सो साल पहिले.... )
कई बार बोला हमने, नाथ ! हमें तारना ।
पिछले जनम को तारे,आजभी उध्दारना ! ।।
हमीं हों पक्षी सुंदर, हमीं हाथी - मोर ना ।
पिछले जनम को तारे, आजभी उध्दारना ! ।।टेक।।
तुम छोडा ना करो, अरे वो, अरे वोही अखरता दिलको
चाहे छोडे कोई, वो, अरे वो न पकड़ता दिलको ।।
यहीं लगा करता हमको, करके किया प्यारना ?
पिछले जनम को तारे! 0 ।।१।।
जिंदगी है सपना, मोरा, ये मोरा अनुमान है ।
चार - दिनके खेल - कुद में यही ना तुफान हे ।।
दूर रहे इनसे अब, चाहिये दीदार ना ।
पिछले जनम को तारे ! 0 ।।२।।
विषयों का लंदा - फंदा, फंदा बडी जादू है ।
मन को मार-मार धोले, धोले करे स्वादू ये ।।
ऐसी जगह हम चाहते, होयेगा विकार ना ।
पिछले जनम को तारे ! 0 ।।३।।
तुम सधे तो सध जाये, सध जाये आखरी ।
अमर सुख पावे हम, हमने तो आस धरी ।।
कहे दास तुकड्या मेरे,दिन ये सधे चार ना !
पिछले जनम को तारे ! 0 ।।४।।