क्यों मचाया ढोंग तुमने, हम अलग दुनियाँसे हैं

(तर्ज: आकळावा प्रेमभावे श्रीहरी.... ) 

क्यों मचाया ढोंग तुमने, हम अलग दुनियाँसे हैं।    क्या मिलाया ग्यान तुमने, ब्रहमसे, मायासे हैं।।टेक।।
पुत्र कहता बापसे, हम-भाई- भाई हों अलग  ।
बनती नहीं करके रहेंगे, बचपना इसमेंसे है   ।। १ ॥
आज भी प्रादेश के, सत्ता बना बेठे कहाँ।
वैसी हालत विश्वकी है, वो भी तो हममेंसे है  ।। २ ॥
एक दिन लड़ते थे साधु, पंथ न्यारे बोलकर।
आज तो एक मंचपे, बैठे सुना हममेंसे हैं       ।। ३॥
वैसे देश-विदेश सारे, दूर रहनेसे  हए।
कहता तुकड्या ग्यान लो, अरे वो भी तो हममेंसे हैं।। ४ ।।