किसने चैन सिखाया बे, सभी घर-माल बिकाया बे

भजन २९
(तर्ज : जमका अजब तडाका बे... )

किसने चैन सिखाया बे, सभी घर-माल बिकाया बे ।।टेक।।

बालापन में सोबत लागी, ठाठ दिखाया बे।
खात चटूरा माल पेटमें, कर्ज लिखाया बे 
।।१।।

संगत के गुण जाते बढते, विषय छकाया बे।
नहीं धीर निकले मनमें, जब परघर छाया बे
।।२।।

बाप बडोंने कनक कमाया, वह फिर खोया बे ।
गया छूट जब धन वह प्यारे, चोरी सिखाया बे 
।।३।।

कहता तुकड्या संगत के गुण, कलजुग आया बे।
फिर कुकर्म से रोवन लागे, काल जो खाया बे
।।४।।