क्या बातोंसे जाने भाई, अनुभव न्यारा है।

भजन ३६
(तर्ज : पिया मिलन के काज.... )

क्या बातोंसे जाने भाई, अनुभव न्यारा है।
भोगी जटाऊ मरे पठन में, दुही का प्यारा है ।।टेक।।

उलट संतकी खुण जाने जो, वहि तम हारा है।
जो जगम्याने रहते रखता, ध्यान अपारा है।।१।।

वही दिवाना जग-मायाने, जिसको मारा है।
पुराणपोथी साथ न जाती, मुखमें भारा है।।२।।

आप आपमें मस्त रहा जो, वही सहारा है।
कहता तुकड्या बिना भाव जन,कोई न तारा है।।३।।