मंगल गुण गावो ।। प्रभुके।

(तर्ज : ज्योति कलश छलके...) 

मंगल गुण गावो ।। प्रभुके।।टेक ।।
जो तारक-मारक दुनियाके ।
उध्दारक है भक्त-जनोंके ।।
भूल नहीं जाओ ।। प्रभुके ।।१।।
सदाचार की सुन्दर माला ।
चरित्र-नीती का उजियाला ।।
चरनों पहिनाओ ।। प्रभुके ।।२।।
भोली-भाली मधुरी बाणी ।
अनुभव के तारों पर चीनी ।।
जनमत सुलझावो ।! प्रभुके ।।३।।
कलजुग की है महिमा ऐसी ।
नाम जपे पावे अविनाशी ।।
निर्मल चित्त लावो।। प्रभुके ।।४ ।।
तुकड्यादास कहे, भजनोसे ।
प्रभू पायेंगे पूंछो हमसे ।।
धुन में रँग जाओ ।। प्रभुके ।।५ ।।