कैसे भूल रहे हो यार ! अपने दिलके दाग धुलालो ।

(तर्ज: तू तो उडता पंछी यार...)

कैसे भूल रहे हो यार ! अपने दिलके दाग धुलालो ।
नाहक क्यों होते बेजार? अपने दिलके दाग धुलालो ।। टेक ।।
आपस में क्यों बैर बढाते ?
सारी दुनियाको बिगडाते।
भूखी मरती जनता तोभी, करते कालाबाजार । अपने0 ।। १ ।।
आह गरीबोंकी बूरी है ।
बिन मारे लगती छुरी है ।
पछताओगे जब मुश्किल हो, करलो आज सुधार । अपने0 ।। २ ।।
अपने सम सबके सुख जानो ।
झूठा करके मरो न दोनो ।
डरते रहो प्रभूसे हरदम, वह है जाननहार। अपने0।।३।।
जो दुसरोंको धोखा देगा ।
उसका कबहूँ भला नहीं होगा ।
यह सिध्दान्त भूल मत जाओ, कह गये सन्त पुकार । अपने0।।४।।
मीठी बात, बगलमें छूरी ।
वैसी है यह लुचपत खोरी।
तुकड्यादास कहे, छोडेगा नहीं जरा कर्तार। अपने0।।५।।