कर मजा दुनिया में आकर, क्या कजा पाता चला हैं !

(तर्ज : मानले कहना हमारा...)
कर मजा दुनिया में आकर, क्या कजा पाता चला हैं ! ।।टेक।।
बेशुमा घरबार तेरा, रातदिन रोशन उजेरा ।
मुंतजिम बेदाम फेरा,   पायके   धरता   बला   हैं ।।१।।
आपसे पैदा हुआ था, दिलखुशी से घर किया था ।
भूलसे भटका रहा था, याद कर अब वह कला है ।।२।।
सत्व-रज-तम तू किया रे ! क्यों गुँथा डरसे जिया रे ! ।
तौल अब सच बात प्यारे ! माननेसेही   भला   है ।।३।।
दृश्य खलकत तू बनाया, कर्मधर्मन  को जमाया ।
खुद खुदा तुझमें रमाया, तुकड्या कहे भ्रमसे भुला है ।।४।।