किसीकी भी न कर निंदा, नही तो मार खावेगा
( तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
किसीकी भी न कर निंदा, नही तो मार खावेगा ।।टेक।।
कोई हठमें मजा करते, कोई मुद्रा लगा तरते ।
कोई भजतेहि भव हरते, तूभि धर पार पावेगा ।।१।।
कोई शिर टांगके लटके, कोई धुर खींचने चटके ।
कोई बेठे खुशी नटके, तूभि कर प्रेम पावेगा ।।२।।
कोई तीरथ घुमे भाई ! कोई सुखसे भजे साई ।
हजारो पंथ जगमाँही, मिले हर तू रिझावेगा ।।३।।
कहे तुकड्या कोई सुनते, सुनी वहही धुनी धुनते ।
धुनाकर आपमें गुनते, तूभि कर मौज पावेगा ।।४।।