सारा चोरोंने माल उडाय दिया ।

(तर्ज : कैसी कटके नि पर...)
सारा चोरोंने माल  उडाय   दिया ।
नही खोनेको हाथ जराभी लिया ।।टेक।।
मारके डाके हमेश धन लुटे बड़े ।
खोफिया पुकार करे होत तब खडे ।
डाले हाथोंमें संकल गुन्हा जो किया ।।१।।
कैद की मियाद भरे सख्त ले सजा ।
रोतेही जनम गमाय, क्या मिले मजा ?
दुखमें पछताय  भजता है रामसिया ।।२।।
छूटके बैमान होत होश ना उसे ।
कर्म से छुटा हूँ कहे देव क्या धसे ?
बानी -  तानीमें पानी   गंमाय   दिया ।।३।।
तुकड्या कहे हुशार होयके सुधर जरा ।
गोते खात क्यों भुला ? फिर अंतमे भरा ।
सारे कुदरतके नियम सही है पिया ! ।।४।।