उठो बे ! करो तयारी है ।
(गजल - ताल तीन)
उठो बे ! करो तयारी है । खड़ी जमराज सवारी है ।।टेक।।
जो नर अपनी नीति भूलके, काम चलाता भलता ।
उसके ऊपर मार फटाके, दंड बाँध ले चलता ।।१।।
जिसने ईश्वर-गुण नहिं गाया,दया-धरम नहिं कीन्हा ।
उसके ऊपर बोझा उसका, मार झपाटे दीन्हा ।।२।।
जो न दीनोंकी खबर करेगा, आपही अपना जाने ।
उसपर दंड कालका पावे, नरक - वासमें ताने ।।३।।
नहीं तो अबसे राम-भजन में, चित्त धरालो अपना ।
कहता तुकड्या गुरु-चरण धर, नाम उसीका जपना ।।४।।