मरना हकका बाना है ।

(तर्ज : ले लो रामभजन अब यार... )
मरना हकका बाना है । जीना उधार आना है ।।टेक।।
मेरा - मेरा करते करते, सारी    उम्र   गमाया ।
मेरा  तो चूहेने   लूटा,    काल  -  बलाने     खाया ।।१।।
अमीर - उमरा मरते देखे, इनका नहीं ठिकाना ।
बडे बडे थे वली-अवलिया, दिखता नहीं  निशाना ।।२।।
राजा के महाराजा मरगये, रैयत कौन बयाना ?
तुमको हमको सब दुनियाको, एकही मारग जाना ।।३।।
कहता तुकड्या वही जीते हैं, जो जीते मरजावे ।
उनको नहीं हैं आना-जाना, तो  मरना   बतलावे ? ।।४।।