आतमदर्शी सतगुरु मेरे, मुझे सपने में बोले।

(तर्ज: अपने आतम्‌ के... ) 

आतमदर्शी सतगुरु मेरे, मुझे सपने में बोले।
भूल न जा सबसे प्रेम करना, जगमें रहो निराले।।टेक।।
जो देखो अपना पहचानो, सबको सत्य सिखाओ।
सेवाका उपदेश करो और    मानवधर्म   बताओ ।।1॥
कम खर्चे में जीवन साधो, अधिक द्रव्य उपजाओ ।
कभी न किसके साथ बुराई, करो न करना चाहो।।2॥
निर्मल जीवन, सत्संगत मन, अखंड हरिगुण गाओ।
तुकड्यादास कहे, गुरु बोले-आत्मग्यान जगाओ।।3।।