आगयी मौत अब यार !

(तर्ज : मुखसे रामभजन कर लेना...)
आगयी मौत अब यार ! सोच कर कौन नतीजा होगा ? ।।टेक।।
बालपना  खेलनमें    खोया ।
मातपितासंग उमर  बढाया ।
मेरा करके देह चढ़ाया जी ! ।।
तारूणपनमों उठी जवानी, लगा विषयका तार ।।१।।
सत्‌ संगत नहिं कबभी पायी ।
राम-कथा दिलमें नहीं छायी ।
कौड़ी कौड़ी जोड कमायी जी ! ।।
नीति -धर्मको छोड दिया है, पछताया दिलदार ! ।।२।।
कबभू दानधर्म नहिं कीन्हा ।
काम - क्रोधमें मरा नगीना ।
झूठा किया सबसे अलबीना जी ! ।।
बुढ़ापन अब आया बंदे ! होंगे हाल   गँवार ! ।।३।।
अंत समय जमराज बुलावे ।
तुझको हाल-बिहाल पुछावे ।
तो फिर उनसे क्या बतलावे जी ! ।।
तुकड्यादास कहे अब आयी, तेरी पूछनहार ।।४।।