ऊँचा है तेरा मकान । साधो भाई !
(तर्ज : ऐसे दिवानेको देखा भैया... )
ऊँचा है तेरा मकान । साधो भाई !ऊँचा है तेरा मकान ।।टेक।।
बिरला कोई देखे मकाना, नहीं आवे पलटान ।
वही तीरथ पूरणकर जाने, मिटा जन्म तूफान ।।१।।
उस घरवाको दस दरवाजे, दसवाँ बंद बसान।
उस खिडकीमें जो कोई जावे, पावे पद निर्बान ।।२।।
उस खिडकीको परखनवाला, समरथ एक महान ।
वहाँपे खूण रूप नहीं साजे, नहीं है शब्द-निशान ।।३।।
साधु-परींदे मुद्रा बाँधे, कर देखे पहिचान।
गुरुबिन पार कोउ नहीं पावत, भटके रानोरान ।।४।।
अमोल तेरा मकान प्यारे ! देख जरासा बान ।
उस बानोंपर बंगला तेरा, तुकड्यादास कहान ।।५।।