कीजो प्रभु ! अब इतना इतबार
(तर्ज : जगपती ईश्वर ! तू करतार....)
कीजो प्रभु ! अब इतना इतबार ।
दे दर्शन मोहे, कभी न भूलूँ तेरो प्रेम - पियार ।।टेक।।
गर्भबासमें था जब सोया, कर लीन्हो प्रतिपार ।
जीवनधार पिलाकर हमको, कीन्हा बेडा पार ।।१।।
बालापनमें दूध पिलाया, नहीं था खान-ख़ुमार ।
तुमही जाकर खान सिखाया, क्या गाऊँ कथवार ? ।।२।।
लडकेपनमों ग्यान सिखाया, सब जगका व्यवहार ।
आज तलक सब काम सिखाये, आया तारूण खार ।।३।।
भली भली भवपूरमें लाटें, कामादिक मद - धार ।
आशा ऐसी ठानी दिलमें, तू इनसे रखवार ।।४।।
मेरी अरज यह सत्गुरु! तुमसे, अंतकाल बडी मार ।
तुकड्यादास बचाकर उनसे, कीजो पद पैजार ।।५।।