आया रे बखत सिर - ऊपर
(तर्ज : काया का पिंजरा डोले... )
आया रे बखत सिर - ऊपर । रह स्वस्थ, जान ले ईश्वर ।।टेक।।
हाथीपे कभी अंबारी । चले कोइ दिन पाँव - सवारी ।
मत दिलमें तू चिन्ता कर ।।१।।
खाने को गुड-घी नाना । किसि दिन न अन्नका दाना ।
जम प्राण लिजावे झर-झर ।।२।।
कभी द्रव्य हजारो - कोटी । नही खर्चन को रे ! कौडी ।
सन्तोष - खजाना ला घर ।।३।।
कहे तुकड्या सुनले भाई ! शान्तीबिन गतिही नाही ।
त्वंपद - तत्पद एकी कर ।।४।।