क्या मानूँ कहना किसका अब ?
(तर्ज : जाग मुसाफिर क्या सूख सोवे .... )
क्या मानूँ कहना किसका अब ? ।
मौत खडी सिर आकर प्यारे ! ।।टेक।।
मतलब - गर्जी सब है यारी ! मुझको कौन छुडावे आ रे ।
आजतलक खुब प्यार किया था, आखिर होते न्यारे न्यारे ।।१।।
आपसमान बचाया बेटा, अब कहता बुढे ! मरजा रे ।
प्रेम किया कायापर दिलसे, वह भी कहे, अब छोड पियारे ।।२।।
भाईबंद सब धनके साथी, कोई नहीं सारथी हमारे ।
नहीं रहा आधार जराभी, मर जाना सबसे अच्छा रे ।।३।।
पछताया मेरा मेरा कर, चोरको माल खिलाय दिया रे ।
कहता तुकड्या सबको भोना, सुनके तू अब जाग जरा रे ।।४।।