आस मोहे सदगुरु - पदकी आस

(तर्ज : भाई मैने गोविद ले लिनो मोल...)
आस मोहे सदगुरु - पदकी आस  ।।टेक।।
डरत नहीं कोउ कालभी आवे, कुबरी   न   रखूँ    पास ।।१।।
जीवन वह इक प्रेम -मिलनका, मनको वहि निजध्यास ।।२।।
हारा यह    संसार   चरणपे,     राखो     प्रेम - उल्हास ।। ३।।
जनम -मरणका धोखा नाहीं, बहिं वारत    जम - त्रास  ।।४।।
रजनी - दिन दूजा ना भावे,     खेलूँ     धरकर     कास ।।५।।
डर नहि मोहे काज करनको, तुकडया  वहिको     दास ।।६।।