ऐ कृष्ण ! तेरा नाम तो, मुझको अधार है

(तर्ज: किस देवतानें आज मेरा...)
ऐ कृष्ण ! तेरा नाम तो, मुझको अधार है ।
तेरा भरोसा है, तेरी महिमा अपार है ।
ना रहे मन धीर जगत - जाल माल में ।
बस, ध्यान तेरा जानसे लगाही तार है ।।१।।
मोर - मुकुट, कुंडल गले वैजयंति हो ।
आँखे लगी रहे, यही देखूँ दिदार    है ।।२।।
और तो सभी भरे हैं कामके गड़ी ।
बस, रूप तेरा चक्र बेडा करत पार है ।।३।।
तुकड्या कहे प्रभू ! हमें न छोडिये कभी ।
तेरी छगनमें चूर हो, यह तन निसार है ।।४।।