क्या बातोंसे जाने भाई ! अनुभव न्यारा है
(तर्ज: पिया मिलनके काज आज...)
क्या बातोंसे जाने भाई ! अनुभव न्यारा है ।।टेक।।
जोगी जोग बढावत सारे, उन्हें न थारा है ।
बिरला कोई दर्दी इसका, जिन्हें उजारा है ।।१।।
पुराण-पोथी साथ न आती, मुखमें भारा है ।
शुध्द भावसे करे करनिको, वहिको तारा है ।।२।।
रहे जगतमें जगसे न्यारे, ध्यान संभारा है ।
अंतर दृष्टी लगी है जिसको, वही पियारा है ।।३।।
कहता तुकड्या अलक-पलखमें, ध्यान सँवारा है ।
सुख-दुःख तनपर झेल रहे, अलमस्त बिचारा है ।।४।।