कैसी नैनोंमे नैना समा गयी ।
(तर्ज : नागनी जुल्फोपे दिल... )
कैसी नैनोंमे नैना समा गयी ।
और नैनाही नैना दिखा रही ।।टेक।।
मैंने नैनोंमे देखा उजारा खडा ।
जैसे सुरज चमकता कि चंदा खडा ।
देखनेमें दिखाई झलक रही ।।१।।
लख्ख बिजली-से तारे गगनमें लखे ।
और वह मैं न दूजा यह फिरके दिखे ।
मौज अमृतसे अच्छी बनी रही ।।२।।
तार श्वासोंका लम्बा लगा है वहाँ ।
सोहँ हँसा, का बाजा लगा है जहाँ ।
कहता तुकड्या, यह रंगत कहीं नही ।।३।।