कृपा कर नाथ ! अब मुझपे
(तर्ज: अगर हैं ग्यानको पाना...)
कृपा कर नाथ ! अब मुझपे, फँसा संसार-झंझटमें ।
बडा मुश्कील है रहना, न रहने दो जी ! लटपटमें ।।टेक।।
अजब जंजाल है माया, न थोडा भी मिले सत्-सँग ।
न प्रभुका नाम भी आवे, चले दिन जात खटपट में ।।१।।
साथ तो खूब वह मिलता, तमासोंगीरका जगमें ।
जरा ना दम मिले उनसे, निकालो जान चटपट में ।।२।।
भला - बूरा, कहीं टोटा, कही मिलजात है पैसा ।
झूठ - सच्चा कहाकरके, निभाते काल झटपटमें ।।३।।
वह तुकड्यादास कहता है, कहो कैसे तरें इनसे ? ।
न अब हमसे रहा जाये, खिंचो गुरुदेव ! झटपटमें ।।४।।