काहे करता मेरा मेरा जगमें कौन तेरा है ?
(तर्ज: जिंदगी सुधार बंदे.... )
काहे करता मेरा मेरा जगमें कौन तेरा है ?।।टेक।।
बाप-बुढ़े घरमें आये, रोगने सताकर खाये ।
माया-मोहमें भुल पाये, आखरी न थारा है ।।१।।
साथि-सँगाती धनके है, जमा भये जो बनके है ।
सोय गया पैसा करसे, पुछेगा न प्यारा है ।।२।।
नारी-सूत चलतीके है, पडतीके भलतीके है ।
यार ! भुखेकोभी कोई, देत ना सहारा है ।।३।।
कहे दास तुकड्या तज दे, मोह ऐसे झूठे जगका ।
भजन कर हरीका बंदे ! पायगा उजेरा है ।।४।।