क्यों बन नाचत मोरा !
(तर्ज : अब दिन बीतत नाही... )
क्यों बन नाचत मोरा ! ।।टेक।।
उँच किये अपने पँखियनको, काहे बतावत तोरा ? ।।१।।
सुंदर पँख यह रूप मनोहर, अलग अलग कर जोरा ।।२।।
हर्ष भये किसके आवनसे ? अँखियन टपके धारा ।।३।।
तुकड्यादास कहे घन देखत, जिय आनंद उछारा ।।४।।