किसको बिहाने जाती

       (तर्ज: सासरला मुलगी निधघाली.. . )
किसको बिहाने जाती, कहाँ भरमाती ।
तज विषयनको, आतम वृत्ति ।।टेक।।
ऐसो स्थान मिले नहीं दूजो, नित मंगल बन रहे वधू जो ।
जनमजनमकी फिकर न कीजो,सदा अमर बन जीति,सुन मोरी,
तज विषयनको, आतम्‌ वृत्ति 0।।१।।
और गँवारन के संग लागी, तो फिर भटके भागी -भागी ।
भोग पुरे नही रहत बिरागी,कितने जनको खोती ,रहत अधाती,
तज विषयनको, आतम वृत्ति0 ।।२॥
मान कहीं ऐ वृत्ति हमारे, मत जा किसके और सहारे ।
तुकड्यादास ने दिये इशारे,लगा प्रभू संग नाती, पायगी शांती,
तज विषयनको, आतूम वृत्ति0 ।।३॥