आतेही हैं भारतमें, प्रिय भगवान मेरे ।
(तर्ज : अगर है शौक मिलनेका... )
आतेही हैं भारतमें, प्रिय भगवान मेरे ।।टेक।।
बीरों ! तुम अर्जुन हो जाओ ।
हरिका जश घरघरमें गाओ ।
खुद रँगके दुसरे रँगवाओ ।
करमें चक्र उठाते है, भारतमें प्रिय भगवान मेरे ।।१।।
सब देवी ! मिल मंगल गाओ ।
सति ! पतिव्रत निश्चय कर पाओ ।
सब गोपी ! मिल प्रेम चढाओ ।
अपना संघ जमाते हैं । भारतमें प्रिय भगवान मेंरे ।।२।।
दुर्जन दिल फट जायेंगे ।
पापके ताले कट जायेंगे ।
देव-देवि सब डट जायेंगे ।
दुर्जनको नमवाते हैं । भारतमें प्रिय भ्रगवान मेरे ।।३।।
रणकंदन कर खून बहेंगे ।
घोडोपर असवार रहेंगे ।
भारत अब परका न कहेंगे ।
तुकड्यादास दिलभर गाते हैं । भारतमें प्रिय भगवान मेंरे ।।४।।