आखरी मैने चुना, प्रभुजी मेरा

(तर्ज : बावरी मैं बन गयी...) 
आखरीss आखरी, मैंने चुना प्रभुजी मेरा, 
आखरी मैंने चुना ।।टेक।। 
पहले चूने धन जन सारे, खल कामी घरदार ।
जब आयी मुझे होश समझकी,तोड दिया संसार।।
गुरुजीने मारग   दिया   बना ।। प्रभुजी मेरा 0।।१।।
कठिन लगी यह प्रीत प्रभूकी,जैसी खुली तलवार । 
खीच रहे थे षड़रिपु सारे, करने मुझे बेकार ।।
जिगर मेरा सबको किया मना।। प्रभुजी मेरा 0।।२।।
जब टूटे बंधन ममता के, फेर मिला आधार ।
तुकड्यादास कहे सुख पाया, पाया मन निर्धार ।।
सुधर गया जग में तबसे जीना ।।प्रभुजी मेरा0।।३।।