क्या हमारे लिए आँख तेरी लगी ?
(तर्ज : खिदमते मुल्कमें गरजे...)
क्या हमारे लिए आँख तेरी लगी ? ।
दिल तड़फतेहिं तुझमें न यादी जगी ।।टेक।।
यार ! है तू कहाँ ? दे पता तो जरा ।
क्यों छिपा हैं ? नजरभरमें आ तो जरा ।
चैन थोड़ी न अब, नींद सारी भगी ।।१।।
कोइ कहता है काबेमें रहता है तू ।
कोइ कहता है मंदरमें बसता है तू ।
क्या है सच तार ? खोजनपें आँखे लगी ।।२।।
अब न कर देरि, बाहर निकल आयके ।
फिर कहीं बस तेरी उस जगे जायके ।
कहता तुकड्या दुई दूर करदे ठगी ।।३।।