आओ आओजी हरिदास !

(तर्ज : तुम्हारे पूजनको भगवान...)
आओ आओजी हरिदास ! बैठो गुरूदेवनके पास ।।टेक।।
क्या क्या लाये हो बतलाओ, क्या क्या ले जाओगे गाओ ।
मत हो दिलसे और उदास । बैठो०।।१।।
हमरे गुरु हैं सदा रँगीले, सबको रखते सदा वशीले ।
उनको और नहीं है आस । बैठो०।।२।।
वे तो चाहते ऐसा चेला, जिसका देह-गेह सब भूला ।
हरदम करे योग अभ्यास । बैठो०।।३।।
तुकड्यादास कहे आजाओ, जो कुछ ले जाना है पाओ ।
यहिंपर मिलता निजका ध्यास । बैठों०।।४।।