कौन रहेगा इस दुनिया में

(तर्ज: कौन आया मेरे मनके भीतर...)
कौन रहेगा इस दुनिया में, मुझको आवो बताओ रे !
जल रहा सब संसार धधककर,कोई तो आग बुझाओ रे ! ।।टेक॥
गगन-मण्डलमें ज्वाल उफारे,सागर सिलग रहा देखो!
जल गई हवा,अग्नी और भूमि, कोई तो जा समझाओ रे ।।1।।
चंदा, सूरज, नभगण तारे, इस ज्वाला में खाक हुएँ ।
देव-देवता, रामकृष्ण सब, जल रहे जाओ बचाओ रे! ।।2।।
ब्रह्मा-विष्णु-रुद्र और माया, इनका नहिं है थाह यहाँ ।
ग्यान-ध्यान की गठडी सिलगी,ज्या देखो अजमाओ रे ! ।।3।।
तुमरा - मेरा पता नहीं है, ना जाने अब  कौन  रहे ।
तुकड्यादास गुरु-घर बोले, आप में आप समाओ रे ! ॥4।।