आया झिलमिल पानी आया

        (तर्ज : मोहन एकबार फिर आवो.... )
      आया झ़िलमिल पानी आया ।।टेक॥
मस्त भयी जनता भजनोंमे,कोई नहीं घबडाया ।।1॥
मंद   मंद   वायु   बहती  है, मीठा   रंग  जमाया ।।2।।
उँचे हाथ  बजाकर  ताली, रामनाम  गुण  गाया ।।3॥
यह सत्संग अनोखा भाई ! देख देख  मन  भाया ।।4।।
तुकड्यादास कहे ऐ मित्रो ! नहि आया,पछताया ।।5॥