गुरुदेव ! दया कर दे, हम ध्यान धरे तेरा
(तर्ज: संसारकी आँधी में...)
गुरुदेव ! दया कर दे, हम ध्यान धरे तेरा ।दासोंको यही वर दे,हम ध्यान धरे तेरा ।। टेक ॥उस ब्रह्ममुददरतपर, वह नींद तजी हमने।निबटाकर सब बातें , फिर स्नान किया हमने।इस कारण चल भागे, हम ध्यान धरे तेरा ।। १ ॥इस निर्मल आसनपे,कुछ फूल झुकाये है।तनमनसे किया वन्दन, बडे भागसे पाये है।मन मस्त भया अब तो, हम ध्यान धरे तेरा ।। २ ।।गम्भीर प्रशान्तीमें यह जलता है दीया।कहे तुकड्या आसनपें,निजप्रकाश मैं पाया।यह ज्योत जले हरदम, हम ध्यान धरे तेरा ।। ३ ।।
(तर्ज: संसारकी आँधी में...)
गुरुदेव ! दया कर दे, हम ध्यान धरे तेरा ।
दासोंको यही वर दे,हम ध्यान धरे तेरा ।। टेक ॥
उस ब्रह्ममुददरतपर, वह नींद तजी हमने।
निबटाकर सब बातें , फिर स्नान किया हमने।
इस कारण चल भागे, हम ध्यान धरे तेरा ।। १ ॥
इस निर्मल आसनपे,कुछ फूल झुकाये है।
तनमनसे किया वन्दन, बडे भागसे पाये है।
मन मस्त भया अब तो, हम ध्यान धरे तेरा ।। २ ।।
गम्भीर प्रशान्तीमें यह जलता है दीया।
कहे तुकड्या आसनपें,निजप्रकाश मैं पाया।
यह ज्योत जले हरदम, हम ध्यान धरे तेरा ।। ३ ।।