(तर्ज : अब तेरे सिवा कौन मेरा... )
बस नैन लगे ध्यानमे, किसके हो बिहारी ! ।
ऊठो तो जरा   देख   लो, लाचारि   हमारी ।।टेक।।
होकरके भी मिलता नहीं, दाना चना खाने ।
पकता मगर दिखता नही, होते है   बहाने ।
भूखों तडफके मर रही, जनता ये बिचारी ॥१॥
उस द्रौपदिको वस्र दिये थे - सुना हमने ।
पर आज गती कौनसी, देखा नहीं तुमने? ।
चिंधी नहीं मिलती है, लाज खो गयी सारी ।।२।।
कैसा समय बदल गया,न कुछभी ख्याल था।
था शानमें भारत मेरा, दुनियाँमे लाल था।
वाहवा रे समय ! भेज दी; किसने ये बिमारी ? ।
देखोगे   कबतलक   ये  तमासाहि  हमारा ?
अब प्राण निकल जायेगा, सुनते न पुकारा?
लो चक्र-सुदर्शनको, हटा   दो ये   अंधेरी ।।४॥
अर्जुनको सुनाया था - हमे प्रीय है भारत ।
हम दौरके आयेंगे  -कहा था कि- भूलो मत ।
तुकड्या वही देता है  तुम्हे   याद  मुरारी! ॥५।।