ऐ नौजवान जाग जाना रे

          (तर्ज : भारतके प्राण हमारे...)
ऐ नौजवान जाग जाना रे,अब तो नींद त्याग जाना रे ।।टेक।।
आग लगी भारतको चारों ओर देख तू ।
चढा चढा मर्द अभी सेवकका भेख तू ।
वीर ! शंख बजा जाना रे,लगा तेरा भी निशाना रे।।१।।
एक ओर शांतीकी  दैवी   पुकार   है ।
पीछे पीछे क्रांतीकी ऊँची तलवार है ।
तूभी चढा तेरा बाना रे,सरकमल को चढा देना रे ।।२।।
एक ओर  गुंडोका  बूरा   नंगा - नाचं है । 
पीछे पीछे लंद-फंदियोंका भी आवाज है ।
देखकर यह डर न जाना रे!सुना तेरा साँच गाना रे ।।३॥
भारत का खेल अब तो मँझधार आगया । 
तैयारी है फैसलेकी खूब  रंग  छागया ।
छोड़ छोड तेरा सोना रे, मत कर कोई बहाना रे ।।४।।
दोनों दलोंमे आग लगी ,तीसरा हुशियार है ।
मनुष्यताका खून करे, ऐसा   वह  गँवार  है । 
अबतक न कैसा जाना रे,आजा सुनाता हूँ गाना रे ।।५।।
शांतिकी आवाज जोर-जोरसे पुकार दे ।
ईश्वर के प्रार्थना  की ठंडी   फुँवार  दे ।
कहता तुकड्या आ जाना रे,लगा तेरा ही निशाना रे ।।६॥