कोयल की आवाज सुन परी
(तर्ज: आया हैं दरबार तुम्हारे...)
कोयल की आवाज सुन परी,
लाल बदरियाँ चमकन लागी-
अब तो प्रभु-दरबार ख़ुलेगी ! ।।टेक।।
गरज रही झन्-झन् कर तारी।
पायल की धुन मधुर कलोली।
न्यौछावर करनको जाऊँ ! ।।1।।
हमरे जियाभर रोम चढे हैं ।
अँखिया प्रभु- दर्शन दौडे हैं ।
कब - कब चरण छुवाऊँ ? ।।2।।
अब न रहा जाये पल मोसे ।
बिन दर्शन शान्ति कहूँ कैसे ? ?
तुकड्या कहे, प्रभुको मिल जाऊँ !।।3।।