एक बार ले पुकार सबका
(तर्ज : जिंदगी के रास्ते में... )
एक बार ले पुकार, सबका अवाज है ।
प्रभू ! तेरे हातमें ही, दुनिया का राज है ।।टेक।।
बीते दिन न आते है,आँधी और तुफान के ।
गिरती दिवालें ऊँचे - ऊँचे मकान के ।।
गरीबों के झोपडी को मट्टी का साज है ।।१।।
अमीरों के घर देखो, ऊँचे महाल है ।
गरीबों की जिन्दगी में, खानेका हाल है ।।
मजदूर हो किसान, भूखा समाज हे ।।२।।
कहता है तुकड्यादास, अर्ज ले गरीब की ।
धूम-धाम बंद कर आंधी औ तूफान की ।।
राखो लाज नही तो मरने का अंदाज है ।।३॥