आजादि साफल करने, बास तूहि था बापू
(तर्ज: जाओ उन्हींकी शरणमें. .. )
आजादि सफल करने, बस तूहि था बापू ।
डरता नही था मरने, बस तूहि था बापू ! ।।टेक।।
लंडन गया था बापू ! गरिबी को दिखाने ।
भारतकी दशा कैसी, राजाकों बताने ।।
घुटनेसे धोती पहने, बस तूहि था बापू ! ।।१।।
घर-घर में भीख माँगी-भारत सुखी करो ।
आजाद करो देशको, नहि तो भले मरो ।।
आवाज यह उठाने, बस तूहि था बापू ! ।।२।।
लाखो जवान दौड़े सैनिक बने तेरे ।
सतसे लडाई जीती, तलवार ना फेरे ।।
बिगडी सभी सुधरने,बस तूहि था बापू ! ।।३।।
हिन्दू हो या इसाई, इस्लाम, बुध्द भी ।
अनपढ़ रहे या कोई, पंडित, सुबुध्द भी ।।
मतभेद को बिसरने, बस तूहि था बापू ! ।।४।।
था जब घना अंधेरा, दीपक जला दिया ।
तुकड्या कहे धरमसे जगको हिला दिया ।।
जीवन की नीव भरने बस तूहि था बापू ! ।।५।।