ऐ नौजवान ! ऐ नौजवान ? ले हाथमें जान

       ऐ नौजवान !   ऐ   नौजवान ? ।
      ले हाथमें जान, करने बलिदान,
      तेरे देश की शान में हो कुर्बान-
पर्वाह न कर तू अपने धन-बदन की ।।टेक।।
क्या खुशीपे बैठ के भाँती है ये कहानी।
ये कयामत ना बन जाये, वतन की कहानी।
      ये देखे नजर, जरा लेके खबर |
      ले हाथ जबर, हथियार सुधर।
पर्वाह न कर तू  अपने  धन-बदनकी ।।1।।
क्या बस को विवश करके लुटा देना है ?
      क्या जिन्दगी तोड हटा देना है?
      ऐ शेर ! समझ, कुछ बात उमज |
      चढ बैठ उपर, मंझिल की गुमज।।
पर्वाह न कर तू अपने  धन-बदनकी ।।2।।
क्या काम में आवे, फिरके ये मर्द जवानी?
इस देशपे ही मरनेमें रह जायेगी निशानी ! !
      दे ख्याल इधर, मत देख किधर। हा
      हैवान नहीं, तू है सुर - नरी ।
पर्वाह न कर तू अपने   धन-बदनकी ।।3।।
ये वख्त गया, फिर बादपमें ना मिलेगा।
ये रोशनीका तारा, आँसमाँसे  ढलेगा।।
    तुकड्या कहे सुन,कर फिरसे मनन।
    इस जीवन -क्षण को, करले जतन।।
पर्वाह न कर तू अपने  धन-बदनकी ।।4।।