तुकड्यादास
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भजन
1
इश्क तेरे पासमें तू, चाहे बनाले उसको
2
इश्कमें तेरी हमेशा, राख लगे रहते हैं
3
इस आसको पूरी कर दे । दरसन से अखियाँ भर दे
4
इस आसको पूरी कर दे । दरसन से अखियाँ भर दे ।।
5
इस जगमें अमृत सार, साधूसंत जनोंने पाया
6
इस जगमें आकर भटका, चटका लोभिया रे !
7
इस जगमें कोइ न साथी है
8
इस जगमें धनही साथी है
9
इस जगमें श्रीगुरु पावन है
10
इस जगमें श्रीगुरु पावन है
11
इस नशेमें फँसी है जमानिया ।
12
इस पेटके फंदेमे पडेसेही सब भुली
13
इस पेटके फंदेमें पड़ेसेहि हर गया
14
इस मायामें क्यों भूला ?
15
इस मायामों आकर भटका
16
इस शान्त,दान्त,निवान्त में निद्रा हमारी हो भली।। टेक॥
17
ईमान तो धूलिमें मिलाया
18
ईश ! तैने दासको, क्यों आस लगा दी प्यारे !
19
ईशवराच्या नामें साधतील स्वार्थ
20
ईश्वर ! तुम्हारी कुदरत, दुनियामें छा रही है
21
ईश्वर ! तुम्हारे दर्शन की भूख हमको भारी
22
ईश्वर ! दया तुम्हारी, बिरलाद समायी
23
ईश्वर ! दरस तुम्हारा, कैसे हमें मिलेगा ?
24
ईश्वर ! भजन तुम्हारा, सब लोग गा रहे है
25
ईश्वर ! हमारो भारत, आजाद कब रहेगा ?
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